रामायणम् — 2.25.7
Original
Segmented
सुप्यते पर्ण-शय्यासु स्वयम् भग्नासु भू-तले रात्रिषु श्रम-खिन्नेन तस्माद् दुःखतरम् वनम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| सुप्यते | स्वप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| पर्ण | पर्ण | pos=n,comp=y |
| शय्यासु | शय्या | pos=n,g=f,c=7,n=p |
| स्वयम् | स्वयम् | pos=i |
| भग्नासु | भञ्ज् | pos=va,g=f,c=7,n=p,f=part |
| भू | भू | pos=n,comp=y |
| तले | तल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| रात्रिषु | रात्रि | pos=n,g=f,c=7,n=p |
| श्रम | श्रम | pos=n,comp=y |
| खिन्नेन | खिद् | pos=va,g=m,c=3,n=s,f=part |
| तस्माद् | तस्मात् | pos=i |
| दुःखतरम् | दुःखतर | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| वनम् | वन | pos=n,g=n,c=1,n=s |