रामायणम् — 3.22.7
Original
Segmented
प्रभिद्-गिरि-संकाशाः तोय-शोषय्-धारिणः आकाशम् तद् अनाकाशम् चक्रुः भीमा बलाहकाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| प्रभिद् | प्रभिद् | pos=va,comp=y,f=part |
| गिरि | गिरि | pos=n,comp=y |
| संकाशाः | संकाश | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तोय | तोय | pos=n,comp=y |
| शोषय् | शोषय् | pos=va,comp=y,f=part |
| धारिणः | धारिन् | pos=a,g=m,c=1,n=p |
| आकाशम् | आकाश | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अनाकाशम् | अनाकाश | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| चक्रुः | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
| भीमा | भीम | pos=a,g=m,c=1,n=p |
| बलाहकाः | बलाहक | pos=n,g=m,c=1,n=p |