रामायणम् — 3.45.32
Original
Segmented
त्वम् पुनः जम्बुकः सिंहीम् माम् इह इच्छसि दुर्लभाम् न अहम् शक्या त्वया स्प्रष्टुम् आदित्यस्य प्रभा यथा
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| जम्बुकः | जम्बुक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| सिंहीम् | सिंही | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| माम् | मद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| इह | इह | pos=i |
| इच्छसि | इष् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| दुर्लभाम् | दुर्लभ | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| न | न | pos=i |
| अहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| शक्या | शक्य | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| स्प्रष्टुम् | स्पृश् | pos=vi |
| आदित्यस्य | आदित्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| प्रभा | प्रभा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| यथा | यथा | pos=i |