रामायणम् — 3.67.6
Original
Segmented
यदा छित्त्वा भुजौ रामस् त्वाम् दहेद् विजने वने तदा त्वम् प्राप्स्यसे रूपम् स्वम् एव विपुलम् शुभम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यदा | यदा | pos=i |
| छित्त्वा | छिद् | pos=vi |
| भुजौ | भुज | pos=n,g=m,c=2,n=d |
| रामस् | राम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| दहेद् | दह् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| विजने | विजन | pos=a,g=n,c=7,n=s |
| वने | वन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| प्राप्स्यसे | प्राप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
| रूपम् | रूप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| स्वम् | स्व | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| विपुलम् | विपुल | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| शुभम् | शुभ | pos=a,g=n,c=2,n=s |