रामायणम् — 4.10.18
Original
Segmented
विक्रोशमानस्य तु मे सुग्रीवैः इति पुनः पुनः यदा प्रतिवचो न अस्ति ततो ऽहम् भृश-दुःखितः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विक्रोशमानस्य | विक्रुश् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
| तु | तु | pos=i |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| सुग्रीवैः | सुग्रीव | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| यदा | यदा | pos=i |
| प्रतिवचो | प्रतिवचस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| अस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| ततो | ततस् | pos=i |
| ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| भृश | भृश | pos=a,comp=y |
| दुःखितः | दुःखित | pos=a,g=m,c=1,n=s |