रामायणम् — 4.11.2
Original
Segmented
असंशयम् प्रज्वलितैस् तीक्ष्णैः मर्म-अतिगैः शरैः त्वम् दहेः कुपितो लोकान् युगान्त इव भास्करः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| असंशयम् | असंशय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्रज्वलितैस् | प्रज्वल् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| तीक्ष्णैः | तीक्ष्ण | pos=a,g=m,c=3,n=p |
| मर्म | मर्मन् | pos=n,comp=y |
| अतिगैः | अतिग | pos=a,g=m,c=3,n=p |
| शरैः | शर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| दहेः | दह् | pos=v,p=2,n=s,l=vidhilin |
| कुपितो | कुप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| युगान्त | युगान्त | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| भास्करः | भास्कर | pos=n,g=m,c=1,n=s |