रामायणम् — 4.13.22
Original
Segmented
त्रेताग्नयो ऽपि दीप्यन्ते धूमो ह्य् एष प्रदृश्यते वेष्टयन्न् इव वृक्ष-अग्रान् कपोत-अङ्ग-अरुणः घनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| त्रेताग्नयो | त्रेताग्नि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| दीप्यन्ते | दीप् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| धूमो | धूम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ह्य् | हि | pos=i |
| एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रदृश्यते | प्रदृश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| वेष्टयन्न् | वेष्टय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |
| वृक्ष | वृक्ष | pos=n,comp=y |
| अग्रान् | अग्र | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| कपोत | कपोत | pos=n,comp=y |
| अङ्ग | अङ्ग | pos=n,comp=y |
| अरुणः | अरुण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| घनः | घन | pos=a,g=m,c=1,n=s |