रामायणम् — 4.14.16
Original
Segmented
जितकाशी जय-श्लाघी त्वया च आधर्षितः पुरात् निष्पतिष्यत्य् असङ्गेन वाली स प्रिय-संयुगः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| जितकाशी | जितकाशिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| जय | जय | pos=n,comp=y |
| श्लाघी | श्लाघिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| च | च | pos=i |
| आधर्षितः | आधर्षय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| पुरात् | पुर | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| निष्पतिष्यत्य् | निष्पत् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
| असङ्गेन | असङ्ग | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| वाली | वालिन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रिय | प्रिय | pos=a,comp=y |
| संयुगः | संयुग | pos=n,g=m,c=1,n=s |