रामायणम् — 4.53.17
Original
Segmented
स त्वम् हीनः सुहृद्भिः च हित-कामैः च बन्धुभिः तृणाद् अपि भृश-उद्विग्नः स्पन्दमानाद् भविष्यसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| हीनः | हा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| सुहृद्भिः | सुहृद् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| च | च | pos=i |
| हित | हित | pos=a,comp=y |
| कामैः | काम | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| च | च | pos=i |
| बन्धुभिः | बन्धु | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| तृणाद् | तृण | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| भृश | भृश | pos=a,comp=y |
| उद्विग्नः | उद्विज् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| स्पन्दमानाद् | स्पन्द् | pos=va,g=n,c=5,n=s,f=part |
| भविष्यसि | भू | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |