रामायणम् — 5.3.16
Original
Segmented
विवस्वतः तनूजस्य हरेः च कुश-पर्वणः ऋक्षस्य केतुमालस्य मम च एव गतिः भवेत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विवस्वतः | विवस्वन्त् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| तनूजस्य | तनूज | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| हरेः | हरि | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| कुश | कुश | pos=n,comp=y |
| पर्वणः | पर्वन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| ऋक्षस्य | ऋक्ष | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| केतुमालस्य | केतुमाल | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| गतिः | गति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |