रामायणम् — 6.11.32
Original
Segmented
अर्थ-अनर्थौ विनिश्चित्य व्यवसायम् भजेत ह गुणतः संग्रहम् कुर्याद् दोषतः तु विसर्जयेत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
| अनर्थौ | अनर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=d |
| विनिश्चित्य | विनिश्चि | pos=vi |
| व्यवसायम् | व्यवसाय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| भजेत | भज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| ह | ह | pos=i |
| गुणतः | गुण | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| संग्रहम् | संग्रह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| कुर्याद् | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| दोषतः | दोष | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| विसर्जयेत् | विसर्जय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |