रामायणम् — 6.2.16
Original
Segmented
गृहीत-धनुस् यः ते तिष्ठेद् अभिमुखो रणे वानरेषु समासक्तम् न ते कार्यम् विपत्स्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| गृहीत | ग्रह् | pos=va,comp=y,f=part |
| धनुस् | धनुस् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| तिष्ठेद् | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| अभिमुखो | अभिमुख | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| रणे | रण | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| वानरेषु | वानर | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| समासक्तम् | समासञ्ज् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| न | न | pos=i |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| कार्यम् | कार्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| विपत्स्यते | विपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |