रामायणम् — 6.26.15
Original
Segmented
स प्रमादाद् विवृद्धः ते ऽधर्मो ऽहिः ग्रसते हि नः विवर्धयति पक्षम् च सुराणाम् सुर-भावनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रमादाद् | प्रमाद | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| विवृद्धः | विवृध् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| ऽधर्मो | अधर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽहिः | अहि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ग्रसते | ग्रस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| हि | हि | pos=i |
| नः | मद् | pos=n,g=,c=2,n=p |
| विवर्धयति | विवर्धय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| पक्षम् | पक्ष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| सुराणाम् | सुर | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| सुर | सुर | pos=n,comp=y |
| भावनः | भावन | pos=a,g=m,c=1,n=s |