रामायणम् — 6.51.23
Original
Segmented
विभ्रमात् चित्त-मोहात् वा बल-वीर्य-आश्रयेण वा न अभिपन्नम् इदानीम् यद् व्यर्थाः तस्य पुनः कृथाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विभ्रमात् | विभ्रम | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| चित्त | चित्त | pos=n,comp=y |
| मोहात् | मोह | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| वा | वा | pos=i |
| बल | बल | pos=n,comp=y |
| वीर्य | वीर्य | pos=n,comp=y |
| आश्रयेण | आश्रय | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| वा | वा | pos=i |
| न | न | pos=i |
| अभिपन्नम् | अभिपद् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| इदानीम् | इदानीम् | pos=i |
| यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| व्यर्थाः | व्यर्थ | pos=a,g=m,c=1,n=p |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| कृथाः | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lun_unaug |