रामायणम् — 6.51.44
Original
Segmented
चिन्तया बाध्यसे राजन् किम् अर्थम् मयि तिष्ठति सो ऽहम् शत्रु-विनाशाय तव निर्यातुम् उद्यतः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| चिन्तया | चिन्ता | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| बाध्यसे | बाध् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| मयि | मद् | pos=n,g=,c=7,n=s |
| तिष्ठति | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| सो | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| शत्रु | शत्रु | pos=n,comp=y |
| विनाशाय | विनाश | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| निर्यातुम् | निर्या | pos=vi |
| उद्यतः | उद्यम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |