रामायणम् — 7.20.4
Original
Segmented
विष्णुना दैत्य-घातैः च तार्क्ष्यस्य उरग-धर्षणैः त्वया समर-मर्दैः च भृशम् हि परितोषितः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विष्णुना | विष्णु | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| दैत्य | दैत्य | pos=n,comp=y |
| घातैः | घात | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| च | च | pos=i |
| तार्क्ष्यस्य | तार्क्ष्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| उरग | उरग | pos=n,comp=y |
| धर्षणैः | धर्षण | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| समर | समर | pos=n,comp=y |
| मर्दैः | मर्द | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| च | च | pos=i |
| भृशम् | भृशम् | pos=i |
| हि | हि | pos=i |
| परितोषितः | परितोषय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |