रामायणम् — 7.25.47
Original
Segmented
तद् अस्य त्वम् सहाय-अर्थम् स बन्धुः गच्छ राक्षस स्निग्धस्य भजमानस्य युक्तम् अर्थाय कल्पितुम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| सहाय | सहाय | pos=n,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| स | स | pos=i |
| बन्धुः | बन्धु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| गच्छ | गम् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| राक्षस | राक्षस | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| स्निग्धस्य | स्निग्ध | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| भजमानस्य | भज् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
| युक्तम् | युक्त | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| अर्थाय | अर्थ | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| कल्पितुम् | क्ᄆप् | pos=vi |