ऋतुसंहारम् — 3.6
Original
Segmented
मन्द-अनिल-आकुलित-चारुतर-अग्र-शाखः पुष्प-उद्गम-प्रचय-कोमल-पल्लव-अग्रः मत्त-द्विरेफ-परिपा-मधु-प्रसेकः चित्तम् विदारयति कस्य न कोविदारः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मन्द | मन्द | pos=a,comp=y |
| अनिल | अनिल | pos=n,comp=y |
| आकुलित | आकुलित | pos=a,comp=y |
| चारुतर | चारुतर | pos=a,comp=y |
| अग्र | अग्र | pos=n,comp=y |
| शाखः | शाखा | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| पुष्प | पुष्प | pos=n,comp=y |
| उद्गम | उद्गम | pos=n,comp=y |
| प्रचय | प्रचय | pos=n,comp=y |
| कोमल | कोमल | pos=a,comp=y |
| पल्लव | पल्लव | pos=n,comp=y |
| अग्रः | अग्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| मत्त | मद् | pos=va,comp=y,f=part |
| द्विरेफ | द्विरेफ | pos=n,comp=y |
| परिपा | परिपा | pos=va,comp=y,f=part |
| मधु | मधु | pos=n,comp=y |
| प्रसेकः | प्रसेक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| चित्तम् | चित्त | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| विदारयति | विदारय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| कस्य | क | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| न | न | pos=i |
| कोविदारः | कोविदार | pos=n,g=m,c=1,n=s |