सौन्दरनन्दम् — 10.41
Original
Segmented
स जात-तर्षः ऽप्सरसः पिपासुः तद्-प्राप्तये अधिष्ठित-विक्लव-आर्तः लोल-इन्द्रिय-अश्वेन मनोरथेन जेह्रीयमाणो न धृतिम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| जात | जन् | pos=va,comp=y,f=part |
| तर्षः | तर्ष | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽप्सरसः | अप्सरस् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
| पिपासुः | पिपासु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,comp=y |
| प्राप्तये | प्राप्ति | pos=n,g=f,c=4,n=s |
| अधिष्ठित | अधिष्ठा | pos=va,comp=y,f=part |
| विक्लव | विक्लव | pos=n,comp=y |
| आर्तः | आर्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| लोल | लोल | pos=a,comp=y |
| इन्द्रिय | इन्द्रिय | pos=n,comp=y |
| अश्वेन | अश्व | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| मनोरथेन | मनोरथ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| जेह्रीयमाणो | न | pos=i |
| न | धृति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| धृतिम् | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lit |