सौन्दरनन्दम् — 12.38
Original
Segmented
रक्षण-अर्थेन धर्मस्य तथा इषीका इति उदाहृता लोके ऽस्मिन् दुर्लभ-त्वात् च रत्नम् इति अभिभाषिता
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| रक्षण | रक्षण | pos=n,comp=y |
| अर्थेन | अर्थ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| धर्मस्य | धर्म | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| तथा | तथा | pos=i |
| इषीका | इषीका | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| उदाहृता | उदाहृ | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| ऽस्मिन् | इदम् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| दुर्लभ | दुर्लभ | pos=a,comp=y |
| त्वात् | त्व | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| च | च | pos=i |
| रत्नम् | रत्न | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| अभिभाषिता | अभिभाष् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |