सौन्दरनन्दम् — 3.15
Original
Segmented
स विनीय काशिषु गयेषु बहु-जनम् अथो गिरिव्रजे पित्र्यम् अपि परम-कारुणिकः नगरम् ययौ अनुजिघृक्षया तदा
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| विनीय | विनी | pos=vi |
| काशिषु | काशि | pos=n,g=f,c=7,n=p |
| गयेषु | गय | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| बहु | बहु | pos=a,comp=y |
| जनम् | जन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अथो | अथो | pos=i |
| गिरिव्रजे | गिरिव्रज | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| पित्र्यम् | पित्र्य | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| परम | परम | pos=a,comp=y |
| कारुणिकः | कारुणिक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| नगरम् | नगर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| ययौ | या | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| अनुजिघृक्षया | अनुजिघृक्षा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |