शतकत्रयम् — 1.98
Original
Segmented
या साधूंश् च खलान् करोति विदुषो मूर्खान् हितान् द्वेषिणः प्रत्यक्षम् कुरुते परीक्षम् अमृतम् तद्-क्षणात् ताम् आराधय सत्क्रियाम् भगवतीम् भोक्तुम् फलम् वाञ्छितम् हे साधो व्यसनैः गुणेषु विपुलेष्व् आस्थाम् वृथा मा कृथाः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| या | यद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| साधूंश् | साधु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| च | च | pos=i |
| खलान् | खल | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| करोति | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| विदुषो | विद्वस् | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| मूर्खान् | मूर्ख | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| हितान् | हित | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| द्वेषिणः | द्वेषिन् | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| प्रत्यक्षम् | प्रत्यक्ष | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| कुरुते | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| परीक्षम् | अमृत | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अमृतम् | हालाहल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,comp=y |
| क्षणात् | क्षण | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| ताम् | तद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| आराधय | आराधय् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| सत्क्रियाम् | सत्क्रिया | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| भगवतीम् | भगवत् | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| भोक्तुम् | भुज् | pos=vi |
| फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| वाञ्छितम् | वाञ्छ् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| हे | हे | pos=i |
| साधो | साधु | pos=a,g=m,c=8,n=s |
| व्यसनैः | व्यसन | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| गुणेषु | गुण | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| विपुलेष्व् | विपुल | pos=a,g=m,c=7,n=p |
| आस्थाम् | आस्था | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| वृथा | वृथा | pos=i |
| मा | मा | pos=i |
| कृथाः | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lun_unaug |