शतकत्रयम् — 2.24
Original
Segmented
प्राङ् माम् एति मनाग् अनागत-रसम् जात-अभिलाषाम् ततः स व्रीडम् तद् अनु श्लथ-उद्यमम् अथ प्रध्वंस्-धैर्यम् पुनः प्रेम-आर्द्रम् स्पृहणीय-निर्भर-रहस् क्रीडा-प्रगल्भम् ततो निःसङ्ग-अङ्ग-विकर्षण-अधिक-सुख-रम्यम् कुलस्त्री-रतम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| प्राङ् | प्राक् | pos=i |
| माम् | मद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
| एति | इ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| मनाग् | मनाक् | pos=i |
| अनागत | अनागत | pos=a,comp=y |
| रसम् | रस | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| जात | जन् | pos=va,comp=y,f=part |
| अभिलाषाम् | अभिलाष | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| ततः | ततस् | pos=i |
| स | स | pos=i |
| व्रीडम् | व्रीडा | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अनु | अनु | pos=i |
| श्लथ | श्लथ | pos=a,comp=y |
| उद्यमम् | उद्यम | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| अथ | अथ | pos=i |
| प्रध्वंस् | प्रध्वंस् | pos=va,comp=y,f=part |
| धैर्यम् | धैर्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| प्रेम | प्रेमन् | pos=n,comp=y |
| आर्द्रम् | आर्द्र | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| स्पृहणीय | स्पृह् | pos=va,comp=y,f=krtya |
| निर्भर | निर्भर | pos=a,comp=y |
| रहस् | रहस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| क्रीडा | क्रीडा | pos=n,comp=y |
| प्रगल्भम् | प्रगल्भ | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| ततो | ततस् | pos=i |
| निःसङ्ग | निःसङ्ग | pos=a,comp=y |
| अङ्ग | अङ्ग | pos=n,comp=y |
| विकर्षण | विकर्षण | pos=n,comp=y |
| अधिक | अधिक | pos=a,comp=y |
| सुख | सुख | pos=n,comp=y |
| रम्यम् | रम्य | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| कुलस्त्री | कुलस्त्री | pos=n,comp=y |
| रतम् | रत | pos=n,g=n,c=1,n=s |