शतकत्रयम् — 2.44
Original
Segmented
तावद् एव अमृत-मयी यावत् लोचन-गोचरा चक्षुष्पथाद् अतीता तु विषाद् अप्य् अतिरिच्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तावद् | तावत् | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| अमृत | अमृत | pos=n,comp=y |
| मयी | मय | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| यावत् | यावत् | pos=i |
| लोचन | लोचन | pos=n,comp=y |
| गोचरा | गोचर | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| चक्षुष्पथाद् | चक्षुष्पथ | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| अतीता | अती | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| तु | तु | pos=i |
| विषाद् | विष | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| अप्य् | अपि | pos=i |
| अतिरिच्यते | अतिरिच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |