शतकत्रयम् — 2.67
Original
Segmented
विरहे ऽपि सङ्गमः खलु परस्परम् संगतम् मनो येषाम् हृदयम् अपि विघट्टितम् चेत् सङ्गी विरहम् विशेषयति
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विरहे | विरह | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| सङ्गमः | संगम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| खलु | खलु | pos=i |
| परस्परम् | परस्पर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| संगतम् | संगम् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| मनो | मनस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| येषाम् | यद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| हृदयम् | हृदय | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| विघट्टितम् | विघट्टय् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| चेत् | चेद् | pos=i |
| सङ्गी | सङ्गिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| विरहम् | विरह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| विशेषयति | विशेषय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |