शतकत्रयम् — 2.77
Original
Segmented
उन्मत्त-प्रेम-संरम्भात् आरभन्ते यत् अङ्गनाः तत्र प्रत्यूहम् आधातुम् ब्रह्मा अपि खलु कातरः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| उन्मत्त | उन्मद् | pos=va,comp=y,f=part |
| प्रेम | प्रेमन् | pos=n,comp=y |
| संरम्भात् | संरम्भ | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| आरभन्ते | आरभ् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| यत् | यद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अङ्गनाः | अङ्गना | pos=n,g=f,c=1,n=p |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| प्रत्यूहम् | प्रत्यूह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| आधातुम् | आधा | pos=vi |
| ब्रह्मा | ब्रह्मन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| खलु | खलु | pos=i |
| कातरः | कातर | pos=a,g=m,c=1,n=s |