शतकत्रयम् — 3.22
Original
Segmented
दीना दीन-मुखैः सदा एव शिशुकैः आकृष्ट-जीर्ण-अम्बरा क्रोशद्भिः क्षुधितैः निरन्न-विधुरा दृश्या न चेद् गेहिनी याच्ञा-भङ्ग-भयेन गद्गद-गल-त्रुट्-विलीन-अक्षरम् को देहि इति वदेत् स्व-दग्ध-जठरस्य अर्थे मनस्वी पुमान्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| दीना | दीन | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| दीन | दीन | pos=a,comp=y |
| मुखैः | मुख | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| सदा | सदा | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| शिशुकैः | शिशुक | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| आकृष्ट | आकृष् | pos=va,comp=y,f=part |
| जीर्ण | जृ | pos=va,comp=y,f=part |
| अम्बरा | अम्बर | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| क्रोशद्भिः | क्रुश् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| क्षुधितैः | क्षुध् | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
| निरन्न | निरन्न | pos=a,comp=y |
| विधुरा | विधुर | pos=a,g=f,c=1,n=s |
| दृश्या | दृश् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=krtya |
| न | न | pos=i |
| चेद् | चेद् | pos=i |
| गेहिनी | गेहिनी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| याच्ञा | याच्ञा | pos=n,comp=y |
| भङ्ग | भङ्ग | pos=n,comp=y |
| भयेन | भय | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| गद्गद | गद्गद | pos=a,comp=y |
| गल | गल | pos=n,comp=y |
| त्रुट् | त्रुट् | pos=va,comp=y,f=part |
| विलीन | विली | pos=va,comp=y,f=part |
| अक्षरम् | अक्षर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| देहि | दा | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| इति | इति | pos=i |
| वदेत् | वद् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| स्व | स्व | pos=a,comp=y |
| दग्ध | दग्ध | pos=a,comp=y |
| जठरस्य | जठर | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| अर्थे | अर्थ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| मनस्वी | मनस्विन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| पुमान् | पुंस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |